Tuesday 11 August 2020

नई शिक्षा नीति पर क्या है मीडिया के छात्रों और शिक्षकों की प्रतिक्रिया?

 

नई शिक्षा नीति 2020 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है। नई शिक्षा नीति 2020 की घोषणा साथ ही मानव संसाधन प्रबंधन मंत्रालय का नाम बदलकर 'शिक्षा मंत्रालय' कर दिया गया है। नई शिक्षा नीति के अनुसार अब HRD मंत्रालय को शिक्षा मंत्रालय कहा जाएगा। यह नई नीति देश में स्कूल और उच्च शिक्षा में परिवर्तनकारी सुधारों का मार्ग प्रशस्त करेगी। नई नीति का उद्देश्य 2030 तक स्कूली शिक्षा में 100% Gross Enrollment Ratio के साथ पूर्व-विद्यालय से माध्यमिक स्तर तक शिक्षा के युनिवर्सलाईजेशन का लक्ष्य है। ये स्कूली बच्चों में से 2 करोड़ को मुख्य धारा में वापस लाएगा। 12 साल की स्कूली शिक्षा और 3 साल की आंगनवाड़ी / प्री-स्कूलिंग के साथ एक नया 5 + 3 + 3 + 4 स्कूली पाठ्यक्रम भी तैयार किया गया है। एनईपी को 1986 में पहली बार बनाया गया था और 1992 में पहली बार इसमें संशोधन किया गया था। इस शिक्षा नीति में AI को ख़ास ध्यान और महत्त्व दिया गया है। दिल्ली Best Media School का ही मीडिया कॉलेज IAAN School of Mass Communication 2017 से ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पढ़ा रहा है। 2014 के आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के घोषणा पत्र में नई शिक्षा नीति 2020 को लागू करने का वादा किया गया था।



 

इस शिक्षा नीति की ख़ास बातों में से एक ख़ास बायत ये है कि अब कॉलेज एजुकेशन के दौरान यदि कोई पढाई अचानक से बीच में छोड़ देता है तो जब तक भी उसने पढ़ाई की है तब तक का सर्टिफिकेट दिया जाएगा। ज़्यादा और विस्तृत जानकारी के लिए आप प्रेस इनफार्मेशन ब्यूरो की प्रेस रिलीज़ देख सकते हैं। इस ब्लॉग में हम आपको बताएँगे कि इस शिक्षा नीति पर Best Media College के छात्रों और शिक्षकों की क्या राय है। वो इस शिक्षा नीति को कैसे देख रहें हैं और आने वाले समय में छात्रों के लिए ये कैसे लाभप्रद होगा।

 

जब मैंने दिल्ली के एक पत्रकारिता संस्थान (Journalism Institute in Delhi) के शिक्षक से बात की तो उनका कहना था की हमारे संस्थान में अक्सर ऐसे बच्चे दाखिला लेने के लिए आते हैं जिन्होंने B. Tech, मेडिकल या ऐसे किसी कोर्स में पहले दाखिला लिया होता था बाद में उनको जब अपने पैशन का पता चलता तो साल-दो साल की पढ़ाई करने के बाद आगे की पढ़ाई छोड़ कर पत्रकारिता में दाखिला लेने आते हैं। पहले उनके वो साल नल & वॉइड मान लिए जाते थे लेकिन अब कम से कम उनके वो साल बर्बाद नहीं होंगे और सर्टिफिकेट या डिप्लोमा के साथ ही वो किसी कॉलेज से निकलेंगे जो आने वाले भविष्य में किसी ना किसी रूप में उनके काम आएगा।

 

जब मेरी बात Top Best Media colleges in Delhi India से पढ़े हुए कुछ मीडिया ग्रेजुएट्स से हुई तो उन्होंने चुहल करते हुए कहा कि ना जाने हमसे कौन सी गलती हुई थी जो हमारे समय में बदलाव नहीं हुआ।

 

कुल जमा बात इतनी है कि इस शिक्षा नीति से बहुत उम्मीदें हैं। इन्हीं उम्मीदों के साथ हम भी उम्मीद करते हैं कि जितनी बेहतरीन ये नीति कागज़ पर दिख रही है उतनी ही बेहतरीन तब भी हो जब इसे पूरे देश में लागू किया जाए। 

अग्रिम भविष्य के लिए शुभकामनाएं

अफ़ज़ाल अशरफ कमाल

IAAN

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